Sunday, January 24, 2016

महाभारत के ये 10 रहस्य जिसे आप नहीं जानते होंगे.


हिन्दू धर्म में महाभारत को पांचवा वेद माना जाता है।
साथ ही विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य भी है। इसमें दी
गई सारी बातें आज भी उतनी ही मान्य है जितनी उस
काल में थीं। अच्छे जीवन जीने की सारी जानकारी इस
एक ग्रंथ में है।
लेकिन क्या महाभारत जितनी हमारे सामने रखी गई है,
उतनी ही है। युद्ध के बाद महाभारत खत्म हो गई थी? क्या
युद्ध के बाद भी कुछ ऐसी बातें थीं, जो हम नहीं जानते?
आइए, जानते हैं महाभारत के बारे में वो रहस्य, जो शायद ही
आपने कभी सुने हों:
1. 18 का रहस्य
महाभारत में 18 के आंकड़े का विशेष महत्व है। महाभारत का
युद्ध 18 दिनों तक चला था। इसमें 18 अध्याय हैं। भगवान
श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान 18 दिनों तक
चला। गीता में भी 18 ही अध्याय हैं। कौरवों और पांडवों
की कुल सेना 18 अक्षोहिनी थी। युद्ध के भी मात्र 18
योद्धा ही जीवित बचे थे। हालांकि 18 के पीछे राज आज
तक राज ही है।
2. अश्वत्थामा
अश्वत्थामा गुरू द्रोण के पुत्र थे। द्रोणाचार्य के पुत्र को
श्री कृष्ण ने अमरता का श्राप दिया था, क्योंकि उन्होंने
ब्रह्मास्त्र का गलत प्रयोग किया था। इस कारण
श्रीकृष्ण अश्वत्थामा से क्रोधित हो गए और उसे श्राप दे
दिया कि वो उन सभी हत्याओं के पाप का बोझ ढोता
हुआ हजारों वर्ष तक निर्जन जगहों में भटकता रहेगा। उसके
शरीर से हमेशा रक्त की दुर्गंध आएगी। उसकी माथे की
मणी वाले स्थान पर एक घाव होगा तो सदैव रिस्ता
रहेगा। वो अपनी मृत्यु की तलाश में अकेला भटकता रहेगा।
आज भी कई जगहों पर अश्वत्थामा को देखे जाने की बात
कही जाती है। लेकिन इन बातों की सत्यता के बारे में कोई
दावा नहीं कर सकता।
3. विमान और परमाणु शस्त्र
मोहन जोदड़ो की खुदाई में मिले कंकाल में रेडिएशन का
असर मिला था। लोग इसे महाभारत के साथ जोड़ कर देखते
हैं। कहा जाता है कि उस समय में भी परमाणु बम हुआ करते
थे। उस काल के ब्रह्मास्त्र ही परमाणु बम थे। महाभारत में
सौप्तिक पर्व के अध्याय 13 से 15 तक ब्रह्मास्त्र के
परिणाम बताए गए हैं। हिंदू इतिहास के अनुसार 3 नवंबर
5561 ईसा-पूर्व को अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग
किया।
4. कौरवों का जन्म एक रहस्य
धृतराष्ट्र और गांधारी को 100 पुत्रों के पिता और माता
के रूप में जाना जाता है। लेकिन दोनो के शत् पुत्र नहीं,
बल्कि 99 पुत्र और 1 पुत्री थी। इन्हें कौरव कहा जाता
था। कुरू वंश के होने के कारण ही ये कौरव कहलाए।
गांधारी के गर्भ धारण करने के दौरान धृतराष्ट्र ने एक
दासी के साथ संबंध बनाए, जिसके चलते धृतराष्ट्र के 100
पुत्र हुए। वेदव्यास से गांधारी को पुत्री प्राप्ती के लिए
वरदान मिला। हालांकि गांधारी को कोई भी संतान
नहीं हुई। क्रोध में गाधांरी ने अपने पेट पर जोर से मुक्का
मार लिया, जिससे उसका गर्भ गिर गया। इस बात का
मालूम चलने पर वेदव्यास ने गांधारी को फौरन 100 कुएं
खुदवाने को कहा। साथ ही उन्होंमे घी भरवा कर मरे हुए
बच्चे का अवशेष उसमें डाल दिया। यहीं से कौरवों का जन्म
हुआ।
5. महान योद्धा बर्बरीक
बर्बरीक भीम का पौत्र था। उसने यह प्रण लिया था कि
वह हारे हुए पक्ष से लड़ेगा। कौरवों और पांडवो की पूरी
सेना को समाप्त करने लिए बर्बरीक को मात्र तीन बाण
ही पर्याप्त थे। यह जान कर भगवान कृष्ण ने ब्रह्माण का
भेस बना कर उससे दान में उसका शीश मांग लिया। शीश
दान करने के बाद बर्बरीक ने कृष्ण से प्रार्थना की कि वो
अंत तक युद्ध देखना चाहता है। श्री कृष्ण ने उनकी यह
प्रार्थना स्वीकार कर ली। श्री कृष्ण ने उनके शीश को
अमृत से नहलाकर सबसे ऊंची जगह पर रख दिया, जिससे वो
महाभारत का युद्ध देख सके।
6. राशियां नहीं थीं ज्योतिष का आधार
महाभारत काल में ज्योतिष, राशियों के आधार पर कुछ
नहीं बताते थे, क्योंकि उस वक्त राशियां नहीं थीं। ग्रह
और नक्षत्रों द्वारा इस काम को किया जाता था।
ज्योतिष विज्ञान का विस्तार इसके बाद ही हुआ।
7. महाभारत के महायुद्ध में विदेशों से भी लड़ाके हुए थे
शामिल
महाभारत के युद्ध में सिर्फ भारत के ही योद्धा नहीं,
बल्कि विदेशो से भी योद्धा शामिल हुए थे। यवन देश से
सेना ने युद्ध में भाग लिया था। साथ ही ग्रीक, रोमन,
अमेरिका जैसे देशों से भी योद्धाओं के इस संग्राम में
शामिल होने के प्रसंग सामने आते हैं। इसी आधार पर यह
माना जाता है कि महाभारत विश्व प्रथम विश्व युद्ध था।
8. महाभारत किसने लिखी
अधिकतर लोगों का जानना और मानना है कि महाभारत
वेदव्यास ने लिखी है। हालांकि यह अधूरा सच है। असल में
वेदव्यास कोई नाम नहीं, बल्कि एक उपाधि थी, जो वेदों
का ज्ञान रखने वालों को दी जाती थी। महाभारत की
रचना 28वें वेदव्यास कृष्णद्वैपायन ने की थी। इससे पहले 27
वेदव्यास हो चुके थे।
9. अभिमन्यु की मृत्यु किसने मारा?
लोग जानते हैं कि अभिमन्यु की हत्या चक्रव्यूह में सात
महारथियों द्वारा की गई। लेकिन यह भी

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Ye

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