Friday, January 29, 2016

शाहरुख़ ख़ान

              शााहरूख़ खान


जन्म 2 नवम्बर 1965 (आयु 50 वर्ष)
नई दिल्ली, भारत
रहवास मुंबई, महाराष्ट्र, भारत[1]
व्यवसाय अभिनेता, निर्माता, टेलिविज़न मेज़बान
सक्रिय वर्ष 1988—अबतक
जीवनसंगी गौरी खान (1991—अबतक)
संतान 3
शाहरुख़ ख़ान (उच्चारण [‘ʃaːɦrəx ˈxaːn]; जन्म 2 नवम्बर 1965), जिन्हें अक्सर शाहरुख खान के रूप में श्रेय दिया जाता है और अनौपचारिक रूप में एसआरके नाम से सन्दर्भित किया जाता, एक भारतीय फ़िल्म अभिनेता है। अक्सर मीडिया में इन्हें "बॉलीवुड का बादशाह", "किंग खान", "रोमांस किंग" और किंग ऑफ़ बॉलीवुड नामों से पुकारा जाता है। खान ने रोमैंटिक नाटकों से लेकर ऐक्शन थ्रिलर जैसी शैलियों में 75 हिन्दी फ़िल्मों में अभिनय किया है।[2][3][4][5] फिल्म उद्योग में उनके योगदान के लिये उन्होंने तीस नामांकनों में से चौदह फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीते हैं। वे और दिलीप कुमार ही ऐसे दो अभिनेता हैं जिन्होंने साथ फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार आठ बार जीता है। 2005 में भारत सरकार ने उन्हें भारतीय सिनेमा के प्रति उनके योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया।

अर्थशास्त्र में उपाधी ग्रहण करने के बाद इन्होने अपने करियर की शुरुआत १९८० में रंगमंचों व कई टेलिविज़न धारावाहिकों से की और १९९२ में व्यापारिक दृष्टी से सफल फ़िल्म दीवाना से फ़िल्म क्षेत्र में कदम रखा। इस फ़िल्म के लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर प्रथम अभिनय पुरस्कार प्रदान किया गया। इसके पश्च्यात उन्होंने कई फ़िल्मों में नकारात्मक भूमिकाएं अदा की जिनमे डर (१९९३), बाज़ीगर (१९९३) और अंजाम (१९९४) शामिल है। वे कई प्रकार की भूमिकाओं में दिखे व भिन्न-भिन्न प्रकार की फ़िल्मों में कार्य किया जिनमे रोमांस फ़िल्में, हास्य फ़िल्में, खेल फ़िल्में व ऐतिहासिक ड्रामा शामिल है।

उनके द्वारा अभिनीत ग्यारह फ़िल्मों ने विश्वभर में  १ बिलियन का व्यवसाय किया है। खान की कुछ फ़िल्में जैसे दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे (१९९५), कुछ कुछ होता है (१९९८), देवदास (२००२), चक दे! इंडिया (२००७), ओम शांति ओम (२००७), रब ने बना दी जोड़ी (२००८) और रा.वन (२०११) अबतक की सबसे बड़ी हीट फ़िल्मों में रही है और कभी खुशी कभी ग़म (२००१), कल हो ना हो (२००३), वीर ज़ारा (२००६)।

वेल्थ रिसर्च फर्म वैल्थ एक्स के मुताबिक किंग खान पहले सबसे आमिर भारतीय अभिनेता बन गए हैं। फर्म ने अभिनेता की कुल संपत्ति 3660 करोड़ रूपए आंकी है।


प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा for Reeten soni संपादित करें
ख़ान के माता पिता पठान मूल के थे|[7][8][9] उनके पिता ताज मोहम्मद ख़ान एक स्वतंत्रता सेनानी थे और उनकी माँ लतीफ़ा फ़ातिमा मेजर जनरल शाहनवाज़ ख़ान की पुत्री थी|[10]

ख़ान के पिता हिंदुस्तान के विभाजन से पहले पेशावर के किस्सा कहानी बाज़ार से दिल्ली आए थे,[11] हालांकि उनकी माँ रावलपिंडी से आयीं थी|[12] ख़ान की एक बहन भी हैं जिनका नाम है शहनाज़ और जिन्हें प्यार से लालारुख बुलाते हैं|[13][14] ख़ान ने अपनी स्कूली पढ़ाई दिल्ली के सेंट कोलम्बा स्कूल से की जहाँ वह क्रीड़ा क्षेत्र, शैक्षिक जीवन और नाट्य कला में निपुण थे| स्कूल की तरफ़ से उन्हें "स्वोर्ड ऑफ़ ऑनर" से नवाज़ा गया जो प्रत्येक वर्ष सबसे काबिल और होनहार विद्यार्थी एवं खिलाड़ी को दिया जाता था| इसके उपरांत उन्होंने हंसराज कॉलेज से अर्थशास्त्र की डिग्री एवं जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन की मास्टर्स डिग्री हासिल की|[15]


अपने माता पिता के देहांत के उपरांत ख़ान १९९१ में दिल्ली से मुम्बई आ गए| १९९१ में उनका विवाह गौरी ख़ान के साथ हिंदू रीति रिवाज़ों से हुआ|[16] उनकी तीन संतान हैं - एक पुत्र आर्यन (जन्म १९९७) और एक पुत्री सुहाना (जन्म २०००)|व पुत्र अब्राहम।

अभिनय संपादित करें
ख़ान ने अभिनय की शिक्षा प्रसिद्द रंगमंच निर्देशक बैरी जॉन से दिल्ली के थियेटर एक्शन ग्रुप में ली| वर्ष २००७ में जॉन ने अपने पुराने शिष्य के बारे में कहा,

" The credit for the phenomenally successful development and management of Shah Rukh's career goes to the superstar himself."(अनुवाद - शाह रूख़ के कैरियर की असाधारण सफलता का सारा श्रेय उस ही को जाता है|)[17]

ख़ान ने अपना कैरियर १९८८ में दूरदर्शन के धारावाहिक "फ़ौजी" से प्रारम्भ किया जिसमे उन्होंने कोमान्डो अभिमन्यु राय का किरदार अदा किया|[18] उसके उपरांत उन्होंने और कई धारावाहिकों में अभिनय किया जिनमे प्रमुख था १९८९ का "सर्कस"[19], जिसमे सर्कस में काम करने वाले व्यक्तियों के जीवन का वर्णन किया गया था और जो अज़ीज़ मिर्ज़ा द्वारा निर्देशित था| उस ही वर्ष उन्होंने अरुंधति राय द्वारा लिखित अंग्रेज़ी फ़िल्म "इन विच एनी गिव्स इट दोज़ वंस" में एक छोटा किरदार निभाया| यह फ़िल्म दिल्ली विश्वविद्यालय में विद्यार्थी जीवन पर आधारित थी|



अपने माता पिता की मृत्यु के उपरांत १९९१ में ख़ान नई दिल्ली से मुम्बई आ गये| बॉलीवुड में उनका प्रथम अभिनय "दीवाना" फ़िल्म में हुआ जो बॉक्स ऑफिस पर सफल घोषित हुई|[20] इस फ़िल्म के लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर की तरफ़ से सर्वश्रेष्ठ प्रथम अभिनय का अवार्ड मिला| उनकी अगली फ़िल्म थी "माया मेमसाब" जो नही चली| १९९३ की हिट फ़िल्म "बाज़ीगर" में एक हत्यारे का किरदार निभाने के लिए उन्हें अपना पहला फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार मिला| उस ही वर्ष में फ़िल्म "डर" में इश्क़ के जूनून में पागल आशिक़ का किरदार अदा करने के लिए उन्हें सरहाया गया| इस वर्ष में फ़िल्म "कभी हाँ कभी ना" के लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर समीक्षक सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरूस्कार से भी सम्मानित किया गया| १९९४ में ख़ान ने फ़िल्म "अंजाम" में एक बार फिर जुनूनी एवं मनोरोगी आशिक़ की भूमिका निभाई और इसके लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक का पुरूस्कार भी प्राप्त हुआ|

१९९५ में उन्होंने आदित्य चोपड़ा की पहली फ़िल्म "दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे" में मुख्य भूमिका निभाई| यह फ़िल्म बॉलीवुड के इतिहास की सबसे सफल और बड़ी फिल्मों में से एक मानी जाती है| मुम्बई के कुछ सिनेमा घरों में यह १२ सालों से चल रही है|[21][22] इस फ़िल्म के लिए उन्हें एक बार फिर फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार हासिल हुआ|

१९९६ उनके लिए एक निराशाजनक साल रहा क्यूंकि उसमे उनकी सारी फिल्में असफल रहीं|[23] १९९७ में उन्होंने यश चोपड़ा की दिल तो पागल है, सुभाष घई की परदेश और अज़ीज़ मिर्ज़ा की येस बॉस जैसी फिल्मों के साथ सफलता के क्षेत्र में फिर कदम रखा|[24]

वर्ष १९९८ में करण जोहर की बतौर निर्देशक पहली फ़िल्म कुछ कुछ होता है उस साल की सबसे बड़ी हिट घोषित हुई और ख़ान को चौथी बार फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार हासिल हुआ। इसी साल उन्हें मणि रत्नम की फ़िल्म दिल से में अपने अभिनय के लिए फ़िल्म समीक्षकों से काफ़ी तारीफ़ मिली और यह फ़िल्म भारत के बाहर काफ़ी सफल रही।[25]

अगला वर्ष उनके लिए कुछ ख़ास लाभकारी नही रहा क्यूंकि उनकी एक मात्र फ़िल्म, बादशाह, का प्रदर्शन स्मरणीय नही रहा और वह औसत व्यापार ही कर पायी|[26] सन २००० में आदित्य चोपड़ा की मोहब्बतें में उनके किरदार को समीक्षकों से बहुत प्रशंसा मिली और इस फ़िल्म के लिए उन्हें अपना दू


वर्ष फ़िल्म चरित्र टिप्पणी
1992 दीवाना राजा सहाई
चमत्कार सुंदर श्रीवास्तव
राजू बन गया जेंटलमैन राजू (राज माथुर)
दिल आशना है करण
1993 माया मेमसाब ललित
किंग अन्कल अनिल
बाज़ीगर अजय शर्मा/विकी मल्होत्रा
डर राहुल मेहरा
1994 कभी हाँ कभी ना सुनील
अंजाम विजय अग्निहोत्री
1995 दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे राज मलहोत्रा
ओह डार्लिंग ! ये है इंडिया हीरो
रामजाने रामजाने
त्रिमूर्ति रोमी सिंह
करण अर्जुन अर्जुन
ज़माना दीवाना राहुल मल्होत्रा
गुड्डू गुड्डू बहादुर
1997 दिल तो पागल है राहुल
परदेश अर्जुन सागर
1998 कुछ कुछ होता है राहुल खन्ना
दिल से अमरकांत वर्मा
2000 मोहब्बतें राज आर्यन
2001 अशोका अशोक
कभी खुशी कभी ग़म राहुल रायचंद
2002 देवदास देवदास मुखर्जी
2003 कल हो ना हो अमन माथुर
चलते चलते राज माथुर
2004 स्वदेश मोहन भार्गव
वीर जारा वीर प्रताप सिह
मैं हूँ ना राम शर्मा
2005 पहेली किशनलाल
2006 कभी अलविदा ना कहना देव सरन
डॉन विजय, डॉन
2007 चक दे इन्डिया कबीर खान
ओम शान्ति ओम ओम प्रकाश माखीजा, ओम कपूर
2008 रब ने बना दी जोडी सुरिन्दर साहनी, राज
2009 बिल्लू सुपरस्टार साहिर खान
लक बाय चांस
2010 दूल्हा मिल गया पवन राज गाँधी
माई नेम इज़ ख़ान रिज़वान ख़ान
2011 रा.वन जी.वन
डॉन २ डॉन
2012 जब तक है जान समर आनंद
2013 चेन्नई एक्सप्रेस (२०१३ फ़िल्म) राहुल
2014 हैप्पी न्यू ईयर चार्ली
2015 दिलवाले काली }
नामांकन और पुरस्कारसंपादित करें
2011 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - माई नेम इज़ ख़ान
2007 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - चक दे! इंडिया
2005 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - स्वदेश
2003 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - देवदास
1999 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - कुछ कुछ होता है
1998 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - दिल तो पागल है
1996 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे
1994 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - बाज़ीगर




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